Farm Laws Repeals : ख़ुशी से झूम उठे देश के किसान, आज PM मोदी ने किया बहुत बड़ा ऐलान , तीनों कृषि क़ानूनों को लिया वापस और माफ़ी भी मांगी , किसानो के द्वारा मनाई जा रही दिवाली

कृषि क़ानून वापस : आज PM मोदी ने किया बहुत बड़ा ऐलान, तीनों कृषि क़ानूनों को वापस ले ली मोदी सरकार, यह सुनकर ख़ुशी से झूम उठे देश के किसान, आज PM मोदी के द्वारा कृषि कानून को रद्द करने की हुयी घोषणा।  यह खबर सुनते ही देश के किसान खुशी से नाचने-गाने लगे।  आज किसानो के द्वारा पूरे देश में  दिवाली मनाई जा रही है। चलिए आपको पूरी खबर से रूबरू करवाते हैं। 

 




नई दिल्ली : आप को बता दें कि बीते साल 17 सितंबर 2020 को लोकसभा संसद में 3 कृषि कानूनों को पास किया गया था। जब से संसद में कृषि से जुड़े तीनों कानून पास हुये थे तभी से देश के किसानो द्वारा इस कानून के विरोध में किसान आंदोलन जारी था। इस बीच सरकार और किसानों के बीच बहुत बड़ी टकरार भी होती रही। सरकार को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा। किसानों का भी बहुत आर्थिक नुकसान हुआ। इसी बीच में कई किसानों की मृत्यु भी हो गई , पिछले साल से चले आ रहे किसान और सरकार के इस महासंग्राम का अंत हो गया। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से आज ये ऐलान किया गया कि लोकसभा संसद में पारित हुए तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस लेगी। इतना सुनते ही देश के सारे किसान ख़ुशी से झूम उठे। और मोदी सरकार का शुक्रिया किया। PM मोदी ने किसानों से माफ़ी भी मांगी।



 





कैसे शुरू हुआ था किसानों का आंदोलन-

बीते साल संसद में 14 सितंबर 2020 को यह 3 कृषि सुधार अध्यादेश वित्त विधेयक के तौर पर संसद में लाये गये थे।17 सितंबर 2020 को लोकसभा ने इसे इसे पारित कर दिया था। इसके बाद पंजाब, हरियाणा और हिमांचल जैसे राज्यों में किसानों के बीच 3 नवंबर 2020 से इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गया। कृषि मंडियों, जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तरों और सड़कों पर किसानों का इस नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन और विरोध चालू रहने लगा और इन कानूनों को वापिस लेने नारा लगने लगा। जब छोटे-मोटे प्रदर्शन से कुछ हासिल नहीं हुआ उसके बाद किसानों के द्वारा 25 नवंबर 2020  को दिल्ली पर कूच करने का ऐलान हुआ और बहुत बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमा पार करने  के लिए निकल पड़े।








दिल्ली पहुंचकर वहाँ की सरहदों पर पहुंचकर पश्चिम की ओर से पंजाब और हरियाणा के किसान ,पूरब की ओर से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों ने दिल्ली की सीमा पर अपना डेरा जमा लिया।  इस बीच सरकार की ओर से किसानों के साथ बातचीत की पेशकश भी हुई, और यह एक बार नहीं कई बार हुई, लेकिन किसान नेता इन कानूनों में संशोधन का सुझाव देने या उन पर चर्चा करने की बजाय तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर ही अड़े रहे। जोकि अब तक चला आ रहा था। 








क्या थे ये  तीनों कृषि कानून और इनका उद्देश्य क्या था ?

17 सितंबर 2020 को लोकसभा संसद में 3 नए कृषि कानूनों को पास किया गया था। सरकार द्वारा इन कानूनों में  किस कानून का क्या उद्देश्य था आइये जानतें है –



  • आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020- इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया था। ऐसा माना जा रहा था कि इस कानून के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा, क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी। बता दें कि वर्ष 1955 में बने इस कानून में संशोधन किया गया था। इस कानून का मुख्य उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी रोकने के लिए उनके उत्पादन, सप्लाई और कीमतों को नियंत्रित रखना था।
  •  कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून, 2020- इस कानून का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल की एक निश्चित कीमत दिलवाना था। इसके तहत कोई किसान फसल उगाने से पहले ही किसी व्यापारी से समझौता कर सकता था। इस समझौते में फसल की कीमत, फसल की गुणवत्ता, मात्रा और खाद आदि का इस्तेमाल आदि बातें शामिल होनी थीं। कानून के मुताबिक, किसान को फसल की डिलिवरी के समय ही दो तिहाई राशि का भुगतान किया जाता और बाकी पैसा 30 दिन में देना होता। इसमें यह प्रावधान भी किया गया था कि खेत से फसल उठाने की जिम्मेदारी व्यापारी की होती। अगर एक पक्ष समझौते को तोड़ता तो उस पर जुर्माना लगाया जाता।  
  • कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून, 2020- इस कानून के तहत किसान APMC यानी कृषि उत्पाद विपणन समिति के बाहर भी अपने उत्पाद बेच सकते थे। इस कानून के तहत बताया गया था कि देश में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया जाएगा, जहां किसानों और व्यापारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने का आजादी होगी। प्रावधान के तहत एक राज्य के किसान दूसरे राज्यों में अपनी फसल खरीद और बेच सकते थे। साथ ही, मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च कम करने की बात भी थी। नए कानून के मुताबिक, किसानों या उनके खरीदारों को मंडियों को कोई फीस भी नहीं देना होता। 








लेकिन आज सरकार को किसानों के सामने झुकना पड़ा। लम्बे समय से चले आ रहे किसान आंदोलन का आज अंत हो गया। किसानो के पक्ष मे जैसे ही फैसला आया किसान फूले नहीं समाये। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद भी दिया। वही PM मोदी ने किसानो से माफ़ी भी मांगी और तीनो कृषि कानूनों को वापस लेते हुए कहा की अब देश के सभी किसान भाई सब कुछ भूलकर अपने-अपने घर लौट जाए। 






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