InfoEdge : वो दिन था जब पत्नी की कमाई से घर चलता था लेकिन आज अरबों के मालिक हैं


वो दिन था जब पत्नी की कमाई से घर की रोजी-रोटी चलती थी अचानक दिमाग में कुछ प्लान आया और आज अरबों के मालिक हैं 

आजकल इंटरनेट के माध्यम से सारे काम बहुत आसानी से हो जातें हैं , एक ऐसी ही कम्पनी ने हमारे लिए दो और मुश्किल काम को बहुत आसान बना दिया है पहला कोई नौकरी ढूँढना और दूसरा जीवनसाथी को अपने अनुसार चुनना और हमारे लिए इस मुश्किल काम को आसान बनाने वाली कम्पनी का नाम इन्फोएज (InfoEdge) है। 
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प्रतीकात्मक तस्वीर


बिज़नेस न्यूज़- आज हम आपको उस इंसान के और उस कंपनी के बारे में बताने जा रहें हैं जिसने आज पूरे देश में करोड़ो नवजवानों की जिंदगी बदल दी है। उस शख्स ने कठिन परिश्रम करके केवल खुद की ही पहचान नहीं बनाई बल्कि हमारे लिए भी दो ऐसे मुश्किल और अत्यंत कठिन काम को बहुत आसान बना दिया जिसको आज हम बस कुछ पलों के अंदर आसानी से कर पा रहें हैं। और वो दोनों मुश्किल काम हैं – एक सफल और खुशहाल जिंदगी के लिए अच्छी नौकरी ढूंढना और दूसरा जिंदगी में एक अच्छा जीवनसाथी ढूंढना। और इस मुश्किल काम को आसान बनाया इन्फोएज (InfoEdge) नाम की कंपनी ने, क्या आपने कभी इस नाम को सुना है अगर नहीं तो इस नाम को तो जरूर सुना होगा – पहला नौकरी डॉट कॉम (naukri.com) और दूसरा जीवनसाथी डॉट कॉम (jeevansathi.com) ये दोनों इंटरनेट वेब्साइट्स इन्फोएज (InfoEdgeकी है हैं जिसको बनाने वाले इन्सान का नाम संजीव बिकचंदानी (Sanjeev Bikchandani) है। आइये और जानते हैं की कैसे इन्होने अपने इस सफर को शुरू किया, किन-किन मुसीबतों का सामना किया जिससे आज उनको यह मुकाम हासिल हुआ कि उन्हें 2020 में पद्म्श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 

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कैसे शुरू हुआ ये सफर –

ये शुरुआत दिल्ली सत्र  1963 से हुई जब संजीव जी का जन्म हुआ उनके पिता एक डॉक्टर थे, और उनकी माँ एक गृहणी (Housewife) थी। और एक पढ़े-लिखे परिवार में पैदा होने के कारण बचपन से ही संजीव जी ने अपनी पढ़ाई-लिखाई पर पूरा ध्यान दिया और उनके तेज दिमाग को देखकर लोगों को भी ऐसा लगता था की ये बड़ा होकर कुछ बड़ा जरूर करेगा। लेकिन उनकी सोच कुछ और ही थी , जहाँ लोग बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहतें हैं वही संजीव एक बिज़नेस-मैन बनना चाहते थे। लेकिन वो बच्चे थे उन्हें ये नहीं पता था की एक बिज़नेस-मैन बनने के लिए उन्हें क्या करना होगा। फिर उन्होंने सेंट स्टीफेन्स कॉलेज (Saint Stephen’s College) दिल्ली से अपनी B. A. की पढ़ाई पूरी की। अब वो किसी बिज़नेस में घुसना तो चाहते थे लेकिन उसके लिए पहले पैसे की जरुरत थी, इसलिए उन्होंने सन्न 1981 में लिंटास (Lintas) नाम की एक कंपनी में अकाउंट एक्सक्यूटिव (Account Excutive) की पोस्ट पर 3 साल तक नौकरी किया।

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जब वहां पर कोई बिज़नेस का आईडिया नहीं मिला तो उन्होंने वह नौकरी छोड़कर M.B.A. की पढ़ाई पूरी की फिर उन्होंने हिन्दुस्तान मिल्क फ़ूड मैन्युफैक्चरर (Hindustan Milk Food Manufacturer) नाम की एक कंपनी में काम किया।इसी दौरान उन्होंने IIM में पढ़ने वाली सुरभि नाम की एक लड़की से शादी कर ली। उसके एक साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपना कुछ करने की ठान ली। उनकी पत्नी भी नौकरी करती थी जिससे उनका घर का खर्च चलने लगा और उनकी पत्नी भी उनके इस काम में उनके साथ खड़ी थी। और फिर संजीव जी ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर इंडमार्क (Indmark) और  इन्फोएज (InfoEdge) नाम की 2 कम्पनियों की नीव रखी। और यह काम संजीव ने अपने घर में नौकर के कमरे से शुरू किया क्योंकि वह कमरा खाली पड़ा था ,वो काफी प्रोफेशनल थे जिसकी वजह से वे अपने पिता को उस 800 रूपये उस कमरे का भाड़ा देते थे। वही इन्फोएज (InfoEdge) एंट्री लेवल सैलरी सर्वेस और इंडमार्क (Indmark) ट्रेडमार्क और डेटाबेस के बारे में काम करती थी। कुछ साल बीत गए लेकिन जिस तरह संजीव ने सोचा था वैसा इन दोनों कंपनियों का कोई रिस्पॉन्स दिखाई नहीं दे रहा था। फिर आगे चलकर संजीव और उनके दोस्त ने अलग होने का फैसला कर लिया जिसमे संजीव को इन्फोएज (InfoEdge) और उसके दोस्त को इंडमार्क (Indmark) कंपनी मिली। 


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अब जब संजीव की कंपनी इन्फोएज (InfoEdge) का प्रदर्शन अच्छा नही था तो उन्होंने अपने बेसिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ साल एक कम्पनी में कंसल्टिंग एडिटर (Consulting Editor) के तौर पर काम किया। लेकिन अब उनकी किस्मत बदलने वाली थी उसी साल 1996 में दिल्ली के अंदर आईटी एशिया एक्सिबिशन (IT Asia Exhibition) का इवेंट आया और उस इवेंट में संजीव जी ने भी हिस्सा लिया और यह वो समय था जब भारत में इंटरनेट की शुरूआत चल रही थी बस 14000 इंटरनेट यूजर ही थे। तभी वहां उनकी नजर एक स्टाल पर पड़ी जिसपे WWW लिखा हुआ था, जब उन्होंने उस स्टाल जाकर पूछा तो पता चला यहाँ ई-मेल अकाउंट बेचे जा रहे है। उन्होंने उसके बारे में बहुत गहराई से जानकारी ली की यह कैसे काम करता है कैसे लोग इसपर आतें हैं बस अब संजीव जी के दिमाग में वो बात आई जब वो हिन्दुस्तान मिल्क फ़ूड मैन्युफैक्चरर (Hindustan Milk Food Manufacturer) में काम कर रहे थे तो लोग किस तरह न्यूज़पेपर और मोटी-मोटी मैगज़ीन के पेज में बस नौकरी के विज्ञापनों को ढूंढते थे। 

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अब तुरंत उनको आइडिया आया और उन्होंने उस ईमेल बेचने वाले से एक वेब-साइट (Website) बनवाना चाहा लेकिन उसने कहा की ये सारे सर्वर अमेरिका के हैं वही से ये काम हो सकता है। फिर क्या था उनके हौसले बुलंद थे उन्होंने हार नहीं मानी और अपने भाई के पास अमेरिका फोन किया जो वहां के एक बिज़नेस स्कूल में प्रोफेसर थे। उन्होंने उनको बताया की मै एक वेब-साइट (Website) शुरू करना चाहता हूँ जिसके लिए सर्वर चाहिए लेकिन मेरे पास अभी पैसा नहीं है आप इस  माह का किराया दे दीजिये फिर अगले माह में मैं कुछ करूँगा। तब सर्वर का किराया लगभग 25 डॉलर प्रति माह था। अब यही से उन्होंने naukri.com की शुरुआत की। 


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अब वेबसाइट तो बन कर तैयार थी लेकिन इसे लांच करने का सही समय आने का इन्तजार था, संजीव और उनकी टीम ने मिलकर कड़ी मेहनत करके न्यूज़पेपर और मैगज़ीन्स से  करीब 1000 नौकरी का डाटा बेस तैयार किया और इन सब के साथ इस वेबसाइट naukari.com को लोगों के लिए लॉन्च कऱ दिया। उस समय इंटरनेट भारत में नया चीज़ था जिसको जानने के लिए लोग काफी उत्सुक भी थे , इसके साथ मीडिया वालो ने भी naukri.com को खूब कवरेज दिया जिसकी वजह से संजीव के इस नौकरी ढूंढने वाली वेबसाइट naukri.com पर लोगो का ताता लग गया। उनकी कम्पनी को पहले साल जहाँ 2.5 लाख का फायदा हुआ वहीं दूसरे साल 18 लाख का फायदा हुआ। इसके बाद संजीव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा इसी तरह हर साल फायदा बढ़ता गया और 2004 आते-आते कम्पनी naukri.com  को  45 करोड़ का फायदा हुआ। 

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अब बारी थी कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज पर उतरना जिससे आम आदमी भी उनके कंपनी के शेयर ले सके और अपनी हिस्सेदारी बना सके ताकि उनकी भी फंडिग हो सके और इसी तरह सन्न 2006 में इन्फोएज (InfoEdgeबॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट होने वाली पहली भारतीय इंटरनेट कंपनी बन गयी। फिर इन्फोएज (InfoEdge) ने jeevansathi.com को शुरू किया। इसके अलावा इनकी और अन्य कम्पनिया भी हैं। 


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आज वो दिन है जहाँ संजीव बिकचंदानी जी की इन्फोएज (InfoEdge) कंपनी का कुल मार्केट कैपिटल 87850 करोड़ रुपये है और इसके एक शेयर की कीमत लगभग 6800 रूपये है जो साल 2006 में 146  रुपये पर लिस्ट हुयी थी तब से अब तक कम्पनी ने  लगभग 4500% का मुनाफा कर के दिया है। उस वक़्त अगर किसी ने में एक लाख इन्वेस्ट किया होगा तो आज 2021 में उस 1 लाख का लगभग 4.5 करोड़ रुपये बन चुके होंगे। इसमें डिविडेंट की रकम शामिल किया जाये तो ये रकम और भी ज्यादा  जाएगी। इस कंपनी का शेयर और इसके बारे में जानने के लिए http://www.infoedge.in/ पर क्लिक करें। 

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दोस्तों कोई भी काम चाहे वह बड़ा हो या छोटा कितना भी मुश्किल क्यों ना हो अगर इंसान अपना लक्ष्य बना ले तो उसको दुनिया की कोई भी ताकत हरा नहीं सकती बस उसके लिए मेहनत धैर्य और लगन चाहिए। 

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